बजट की कमी के चलते शुरू नहीं हुआ देश का पहला हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का काम! करीब पांच करोड़ धनराशि की जरूरत

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देश का पहला हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का काम बजट की कमी के कारण शुरू नहीं हो पाया है। संरक्षण केंद्र का निर्माण न होने के चलते दो वर्ष पहले तैयार किए गए चार स्नो लैपर्ड ट्रेल और ट्रैक का उपयोग भी नहीं हो पा रहा है। संरक्षण केंद्र बनाने के लिए करीब पांच करोड़ की धनराशि की जरूरत है। सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत उत्तरकाशी के गंगोत्री नेशनल पार्क से लगे भैरोंघाटी लंका में हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र स्वीकृत हुआ। इसकी स्वीकृति 2017 में परियोजना के शुरू होने के दौरान हुई। यह संरक्षण केंद्र ईको फ्रेंडली होगा, जिससे जैव विविधता को नुकसान न हो। परंतु छह वर्ष बाद भी अभी तक हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र नहीं बनाया गया है। इस संरक्षण केंद्र की डीपीआर बनाने का जिम्मा ग्रामीण निर्माण विभाग उत्तरकाशी को दिया गया है। इस संरक्षण केंद्र का डिजाइन जापान और नीदरलैंड के आर्किटेक्ट की ओर से तैयार किया गया। जब हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र निर्माण शुरू होगा तब ये आर्किटेक्ट 12 विजिट करेंगे, जिससे डिजाइन के अनुसार संरक्षण केंद्र का निर्माण हो सके। अभी तक प्रस्तावित संरक्षण केंद्र के पास चार स्नो लैपर्ड ट्रेल और ट्रैक बनाए गए हैं। ये ट्रेल 600 मीटर से लेकर डेढ़ किलोमीटर तक लंबे हैं। जिसमें पर्यटकों को हिम तेंदुए को करीब से देखने और उसके वास स्थल को जानने का मौका भी मिलेगा। केंद्र में लर्निंग ब्लाक का निर्माण कर हिम तेंदुआ संरक्षण पर बनने वाली लघु फिल्में दिखाने, उसके वासस्थल और दुनिया में हिम तेंदुआ संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी भी दी जाएगी। लेकिन, इन ट्रेल का उपयोग तभी हो पाएगा जब हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र बनकर तैयार होगा।