मॉनसून सत्र में समान नागरिक संहिता बिल लाने की तैयारी में मोदी सरकार

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मोदी सरकार समान नागरिक संहिता को लेकर बड़ा दांव खेल सकती है। केंद्र सरकार ने संसद के मॉनसून सत्र में यूसीसी बिल लाने की तैयारी कर ली है। संसद की एक स्थायी समिति ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर हितधारकों की राय जानने के लिए विधि पैनल द्वारा हाल ही में जारी एक नोटिस पर विधि आयोग और कानून मंत्रालय के प्रतिनिधियों को तीन जुलाई को बुलाया है।

समान नागरिक संहिता को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। इस बीच खबर आ रही है कि केंद्र सरकार आगामी मॉनसून सत्र में समान नागरिक संहिता का बिल पेश कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र ने संसद के मॉनसून सत्र में यूसीसी बिल लाने की तैयारी कर ली है। यह यूसीसी बिल संसदीय समिति को भी भेजा जा सकता है। यूनीफॉर्म सिविल कोड को लेकर सांसदों की राय जानने के लिए संसदीय समिति की 3 जुलाई को बैठक बुलाई गई है। कानून और कार्मिक पर स्थायी समिति के कार्यक्रम के अनुसार 14 जून 2023 को भारत के विधि आयोग द्वारा जारी सार्वजनिक नोटिस पर कानून पैनल और कानून मंत्रालय के कानूनी मामलों और विधायी विभागों के प्रतिनिधियों के विचारों को सुनेगी। पर्सनल लॉ की समीक्षा विषय के तहत समान नागरिक संहिता पर विभिन्न हितधारकों से विचार आमंत्रित किया जा रहा है। कानून पैनल को अपने सार्वजनिक नोटिस पर लगभग 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिली थीं। आपको बता दे यूनिफॉर्म सिविल कोड का देशभर में रहने वाले सभी लोगों के लिए समान कानून। अब अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी जाति या धर्म का हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा तलाक हो या विवाह अगर अपराध एक जैसे होंगे। तो सजा भी एक जैसी मिलेगी। अभी तलाक, विवाह, गोद लेने के नियम और संपत्ति विरासत पर धर्म के हिसाब से कानून है। मुस्लिम समाज में शरिया के आधार पर यह तय किया जाता है। उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ बना रखे हैं। हालांकि हमारे संविधान के अनुच्छेद 44 में उल्लिखित है कि सभी नागरिकों के लिए समान कानून हो। क्रिमिनल मामलों में एक जैसे कानून लागू होते हैं लेकिन सिविल मामलों में अलग-अलग कानून हैं. इसी दोहरापन को समाप्त करने को लेकर बात चल रही है।