कामयाबी! तीरंदाज नीरज चौहान ने एशियन गेम्स, तीरंदाजी वर्ल्डकप और वर्ल्ड गेम्स में अपनी जगह की पक्की, जोश से भर देगी मुश्किल हालातों के बाद मुकाम हासिल करने वाले नीरज की कहानी

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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्थित कैलाश प्रकाश स्टेडियम के मेस में खाना बनाने वाले अक्षय लाल चौहान के तीरंदाज बेटे नीरज चौहान ने एशियन गेम्स, तीरंदाजी वर्ल्डकप और वर्ल्ड गेम्स में जगह पक्की कर ली है। जिसके बाद नीरज इस साल के अंत में होने वाले चार विश्व कप और विश्व खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। युवा मामले और खेल मंत्रालय (MYAS) के पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय कल्याण कोष (PDUNWFS) से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लगभग डेढ़ साल बाद, उत्तर प्रदेश के तीरंदाज नीरज चौहान ने भारतीय राष्ट्रीय तीरंदाजी टीम में अपनी जगह बनाई है।
नीरज ने फोन पर बातचीत के दौरान कहा, “उस समय पर किए गए हस्तक्षेप ने मुझे और मेरे परिवार की बहुत मदद की और मुझे भविष्य की प्रतियोगिता के लिए प्रशिक्षण में वापस लाया।”
गौरतलब हो की नीरज ने पहली 2020 में चर्चा में आए थे । जब COVID 19 लॉकडाउन के दौरान उनके पिता, जो उस समय परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे, ने महामारी के कारण अपनी नौकरी खो दी थी। अचानक नौकरी छूटने से परिवार के लिए एक बड़ी आर्थिक तंगी हो गई थी। जिसके बाद नीरज और उनके मुक्केबाज भाई ने पिता के साथ ठेले पर सब्जी बेचनी शुरू कर दी। इनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो निवर्तमान केंद्रीय खेल मंत्री किरन रिजिजू ने संज्ञान लिया।
साथ ही उनकी दुर्दशा पर भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) के अध्यक्ष अर्जुन मुंडा ने प्रकाश डाला, जिन्होंने एक ट्वीट में खेल मंत्री से उनकी मदद का अनुरोध किया था। इसके बाद, नीरज और उनके भाई सुनील, जो एक राष्ट्रीय मुक्केबाज हैं, को मंत्रालय के पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय कल्याण कोष के तहत 5-5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी गई।
नीरज ने कहा, “वित्तीय सहायता मिलने के बाद से, मैं अपने तीरंदाजी उपकरण को उस उपकरण में अपग्रेड करने में सक्षम था। जिसका वह वर्तमान में SAI सोनीपत में अपने प्रशिक्षण के दौरान उपयोग कर रहें हैं।
नीरज ने कहा, “मैं बहुत खुश और उत्साहित हूं कि मैंने भारतीय राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई। मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम एशियाई खेल होगा, और अब मैं इस आयोजन की तैयारी के लिए अपनी पूरी ऊर्जा दूंगा ताकि मैं वहां पदक जीत सकूं।