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बाड़मेर. पाकिस्तान की सीमा से सटे सरहदी बाड़मेर जिले सहित प्रदेशभर में रिफाइनरी के लिए चर्चा में रहने वाला पचपदरा इन दिनों एक खास कार्यक्रम की वजह से चर्चाओं में है. पचपदरा में ऐसा आयोजन चल रहा है जो इससे पहले कभी नहीं हुआ है. इस कार्यक्रम को ‘बाबुल की गलियां’ नाम दिया गया है. इसमें देश के विभिन्न शहरों के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, दुबई में ब्याही गईं या रह रहीं पचपदरा की एक हजार से ज्यादा बेटियां एक साथ पीहर पहुंची हैं.
पिता का सम्मान होती हैं बेटियां, पिता का सर कभी भी झुकने नहीं देती हैं बेटियां. ख्वाहिशें चाहे कितनी भी हो लेकिन एक पिता अपनी बेटी की हर ख्वाहिश पूरी करता है. बेटियां शादी के बाद परायी जरूर हो जाती हैं लेकिन अपने पिता के दिल से वो कभी परायी नहीं हो पाती. यह चंद पक्तियां आज पचपदरा की उन एक हजार बेटियों पर सटीक बैठती है. जो पिछले 20-30 बरसों से अपने बाबुल के घर नहीं आई थीं.
आयोजन के प्रति बेटियों में उत्साह ऐसा है कि उम्र भी बाधक नहीं बन रही है. कुछ तो 80-90 साल तक की बुजुर्ग हो चली बेटियां भी अहमदाबाद और चेन्नई तक से आ रही हैं, ताकि एक बार बाबुल की उन गलियों में फिर से घूम सकें, जहां खेलते-कूदते वे बड़ी हुई थीं.
ऐसे आया ये आइडिया
दरअसल, पचपदरा निवासी ममता तलेसरा और भावना ढिलड़िया दो बहने हैं. ममता मुंबई में रहती हैं और भावना इचलकरंजी में. ममता ने बताया कि पिछले साल अगस्त में वह कर्नाटक के होस्पेट में एक शादी में गई थीं. वहां दोनों बहनों को बातों-बातों में यह आइडिया आया. तभी उन्होंने एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया और अलग-अलग शहरों में रहने वाली पचपदरा की बेटियों से इस बारे में बात की. अगले 15 दिनों में 500-600 बेटियां उनके ग्रुप में जुड़ गईं और अब तक एक हजार से ज्यादा बेटियां इस वॉट्सऐप ग्रुप का हिस्सा हैं.
आयोजन में देश के विभिन्न शहरों के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, दुबई में रह रहीं पचपदरा कस्बे की एक हजार से ज्यादा बेटियां शामिल हुई हैं. इसमें खास बात यह है कि कुछ तो ऐसी भी हैं, जो पिछले 20-30 बरसों से बाबुल के घर नही आई थीं. अहमदाबाद निवासी निकिता बताती हैं कि एक साथ एक नहीं,बल्कि चार-चार पीढ़ियां मिल रही हैं. बाबुल की गलियां कार्यक्रम को लेकर पचपदरा की बेटियों में बहुत ही उत्साह है.