मंकीपॉक्स के चलते हुई मौत, देश में कुल आठ मामले सामने आये

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देश में मंकीपॉक्स के कुल 8 मामले सामने आए हैं. इनमें से एक मरीज की मौत हो चुकी है. इस बीमारी के बढ़ते मामलों को देख देशभर के लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है. चिंता की एक वजह ये भी है कि कई मरीजों की विदेश यात्रा की कोई हिस्ट्री तक नहीं है.

सोच से ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा मंकीपॉक्स

ऐसे में कहा जा रहा है कि मंकीपॉक्स के मामलों का जितना सोचा था, उससे ज्यादा फैल चुका है. बता दें कि केरल से कुल 5 केस आए हैं और राजधानी दिल्ली से 3. इनमें केरल का पांचवे मरीज UAE की यात्रा करके आया है, जिसकी उम्र 35 साल है. साथ ही मंकीपॉक्स की वजह से एक मरीज की मौत की पुष्टि केरल राज्य सरकार ने सोमवार को की थी.

दिल्ली में तीन केस बने चिंता का विषय

साथ ही दिल्ली में तीन मरीज सामने आए, जिसमें से एक को अस्पताल से छुट्टी मिली है. लेकिन दिल्ली में जो नए मरीज भर्ती हुए हैं इनमें से किसी की भी विदेश यात्रा की कोई हिस्ट्री नहीं है. दो लोग नाइजीरियन मूल के हैं जो लंबे समय से दिल्ली में रह रहे हैं. इनमें से एक होटल में काम करता है हालांकि यह दोनों लोग किसी अफ्रीकी व्यक्ति के संपर्क में आए थे. इसके अलावा दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में एक महिला भी भर्ती हुई है. जिसके सैंपल टेस्ट के लिए भेजे जा चुके हैं.

ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत

इस महिला की भी विदेश यात्रा की कोई हिस्ट्री नहीं है. इसका मतलब लोगों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. क्योंकि देश में ऐसे केस मौजूद हैं जिन्हें मंकीपॉक्स कहां से हुआ है, इसका पता लगा पाना मुश्किल हो रहा है. यानी देश में कई ऐसे केस मौजूद थे जिन्हें मंकीपॉक्स तो है लेकिन वह सरकार के रडार पर नहीं हैं.

क्या जानलेवा है मंकीपॉक्स?

गौरतलब है कि केरल में एक व्यक्ति की मौत होने के बाद लोगों में यह डर फैल गया है कि क्या मंकीपॉक्स जानलेवा हो सकता है. लेकिन खबरों के मुताबिक जिस व्यक्ति की मौत हुई उसे वायरल एन्सेफेलाइटिस हुआ था. जिसकी वजह से उस व्यक्ति में मल्टी ऑर्गन क्लियर हो गया.

आइशोलेशन में मरीज को रहने की जरूरत

लोकनायक अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ सुरेश कुमार के मुताबिक अगर किसी की इम्युनिटी बहुत कमजोर है, उसे कैंसर जैसी कोई बीमारी है या उसे और बहुत ही पुरानी और गंभीर बीमारियां है तभी मंकीपॉक्स खतरनाक हो सकता है. वरना साधारण मामलों में अधिकतम 21 दिन में मरीज रिकवर हो जाता है. हालांकि इन 21 दिनों के दौरान मरीज आइसोलेशन में रहे.