देहरादून: जोशीमठ शहर केवल धार्मिक लिहाज से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि देश की सुरक्षा और सामरिक महत्व (Joshimath important Strategically) के लिए भी यह शहर बेहद खास है. जोशीमठ में भू धंसाव के चलते स्थानीय लोगों को तो बेघर होना ही पड़ा है, साथ ही सेना के जवानों के लिए भी दरारों ने परेशानियां खड़ी कर दी है. स्थिति यह है कि अब सैन्य जवानों को मजबूरन यहां से हटना (army personnel shift from joshimath) पड़ रहा है. यहां चीन बॉर्डर नजदीक होने के कारण हमेशा ही भारी संख्या में सेना के जवान तैनात रखे जाते हैं. इन स्थितियों पर रक्षा मंत्रालय सीधे तौर पर नजर रखे हुए है.
जोशीमठ से महज 100 किमी दूर चाइना बॉर्डर
जोशीमठ पर बढ़ता संकट केवल एक शहर के अस्तित्व का सवाल नहीं है, बल्कि यह खतरा देश की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है. जोशीमठ शहर एक ऐसी जगह पर है, जिसे सामरिक महत्व के रूप में रक्षा मंत्रालय की तरफ से खास माना गया है. शायद यही कारण है कि चमोली जिले से लगी चीन सीमा के सबसे करीब जोशीमठ ही वो क्षेत्र है, जहां बड़ी तादाद में सेना और आईटीबीपी के जवानों को तैनात (Joshimath for Indian Army) किया गया है. बदरीनाथ समेत बॉर्डर पर भी आईटीबीपी की कई टुकड़िया मौजूद हैं, लेकिन जोशीमठ, बदरीनाथ और नीती, माणा दोनों ही बॉर्डर को देश से जोड़ते हैं. जोशीमठ से बॉर्डर करीब 100 किलोमीटर दूर है. ऐसे में यहां सड़क मार्ग को बेहतर कर सीमा तक बनाया गया है. जिससे चीन की किसी भी हिमाकत के दौरान सेना और हथियार बॉर्डर तक आसानी से पहुंचाये जा सकें.