आरटीआई के दायरे में आया विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम! नियुक्त किये गये अधिकारी

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जागेश्वर धाम आरटीआई के दायरे में आ गया है। जागेश्वर धाम मंदिर की व्यवस्थाओं को पारदर्शी बनाने के लिए इसे आरटीआई के दायरे में लाया गया है इसके लिए अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई है।

अल्मोड़ा का प्रसिद्ध जागेश्वर धाम मंदिर सातवीं शताब्दी का मंदिर है। मंदिर के प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इसे सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में लाने की मांग की जा रही थी। जिसके बाद अब इसे सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में लाया गया है। इसके लिए मंदिर प्रबंधन समिति के प्रबंधक को लोक सूचना अधिकारी और एसडीएम को अपीलीय अधिकारी नियुक्त किया है। यह कुमाऊं क्षेत्र का पहला मंदिर है जिसे आरटीआई अधिनियम के दायरे में लाया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण वाले जागेश्वर धाम मंदिर की व्यवस्थाओं को पारदर्शी बनाने के लिए उच्च न्यायालय ने 2013 में जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति का गठन किया था लेकिन उस समय मंदिर समिति आरटीआई के दायरे में नहीं आ पाई थी। मंदिर प्रबंधन समिति की कार्यप्रणाली पर अनेक लोग सवाल उठाने लगे थे। जिसके बाद मंदिर प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष नवीन भट्ट ने वर्तमान मंदिर समिति को इसी वर्ष जनवरी में तत्कालीन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई बोर्ड बैठक में आरटीआई के दायरे में लाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। जिसे जिलाधिकारी ने मंदिर ट्रस्ट की व्यवस्थाओं को पारदर्शी बनाने के लिए तत्काल मंजूरी दे दी थी।आरटीआई की व्यवस्था शुरु करने से पूर्व समिति में एक लेखाकार को नियुक्त करने को कहा। समिति के उपाध्यक्ष नवीन चंद्र भट्ट ने बताया 12 जनवरी को बोर्ड बैठक में मंदिर को आरटीआई अधिनियम के तहत शामिल करने का प्रस्ताव उनकी ओर से रखा गया। इसके लिए आवश्यक एक अकाउंटेंट की नियुक्ति भी मई माह में कर दी गई है। प्रशासन की ओर से मंदिर प्रबंधन समिति को आरटीआई के दायरे में लाने के बाद जिलाधिकारी के आदेश पर मंदिर प्रबंधक को लोक सूचना अधिकारी और एसडीएम को अपीलीय अधिकारी नियुक्त किया गया है जिसके बाद आरटीआई व्यवस्था शुरू कर दी गई। अल्मोड़ा का विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम अब कुमाऊं का पहला मंदिर बन गया है जो सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में आ गया है। विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में 125 मंदिरों का एक समूह शामिल है। यहां स्थित दो मुख्य मंदिरों में शिवलिंग की पूजा अर्चना की जाती है. वर्तमान में, यह परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षण में है। घने देवदार के जंगल के बीच स्थित यह मंदिर हर साल हजारों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता रहा है जागेश्वर मंदिर परिसर का निर्माण सातवीं शताब्दी में कत्यूरी शासन काल में हुआ था। चौदहवीं शताब्दी तक चंद्रवंशी शासन काल में परिसर में अतिरिक्त मंदिर जोड़े गए थे।