वॉशिंगटन। मोदी सरकार ने भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत दिलाई है। रूस से कच्चा तेल खरीदने के मामले में भारत को अमेरिका का समर्थन मिला है। अमेरिका ने साफ शब्दों में कहा है कि भारत जितना चाहे, रूस से उतना कच्चा तेल खरीद सकता है। अमेरिकी विदेश विभाग की असिस्टेंट सेक्रेटरी केरेन डोनफ्राइड ने बुधवार को मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए भारत का साथ देने की बात कही। डोनफ्राइड ने कहा कि रूस से कच्चा तेल खरीदने के मामले में भारत पर अमेरिका कोई भी प्रतिबंध नहीं लगाने जा रहा है। बता दें कि तमाम यूरोपीय देशों ने रूस से कच्चा तेल खरीदने पर भारत को घेरने की कोशिश की थी।
अमेरिकी विदेश विभाग की असिस्टेंट सेक्रेटरी केरेन डोनफ्राइड।
केरेन डोनफ्राइड ने ये भी कहा कि भारत से अमेरिका के रिश्ते काफी महत्वपूर्ण हैं। हम भारत की तरफ से यूक्रेन को दी गई मानवीय मदद का भी स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने रूस और यूक्रेन के बीच जंग खत्म करने के लिए अपील भी की थी। उसका भी अमेरिका स्वागत करता है। अमेरिका के इस बयान से साफ है कि भारत और रूस के बीच कच्चे तेल के सौदे पर अब दुनिया के किसी और कोने से विरोध की आवाज उठने की गुंजाइश खत्म हो गई है। अमेरिका के इस रुख के बाद अब यूरोप का भी कोई देश शायद ही भारत पर रूसी कच्चे तेल के मामले में सवाल उठाएगा।
इससे पहले भारत की तरफ से साफ कहा गया था कि वो संप्रभु देश है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने विदेशी मीडिया और वहां के नेताओं के सामने साफ कहा था कि अपने लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत फैसले लेने को आजाद है। जयशंकर ने तो यूरोपीय देशों को आईना भी दिखाया था। उन्होंने कहा था कि भारत जितना कच्चा तेल रूस से एक हफ्ते में खरीद रहा है, उससे कई गुना ज्यादा यूरोप के देश एक दिन दोपहर तक खरीद लेते हैं।