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जोशीमठ के पगनों गांव में भूस्खलन का दायरा बढ़ रहा है। स्थिति यह है कि भूस्खलन से पगनों गांव के नीचे गुलाबकोटी के साथ-साथ बदरीनाथ हाईवे को भी खतरा हो गया है। हाईवे भी इस मलबे से बार-बार बाधित हो रहा है। वहीं भूस्खलन का दायरा बढ़ने से आए दिन भवन व गौशालाएं व नापभूमि भी बर्बाद हो रही है।
विकासखंड जोशीमठ के पगनों गांव में वर्ष 2021 से गांव के ऊपर हल्का भूस्खलन होना शुरू हो गया था। वर्तमान समय में यह भूस्खलन का दायरा विकराल रूप ले चुका है जिससे अब पगनों गांव में रह रहे 124 परिवारों पर कहर भरपा रहा है। अब तक इस भूस्खलन की जद में 45 से अधिक परिवार अपने घरों को छोड़कर अन्य सुरक्षित स्थानों पर रहने को विवश हैं। बार-बार शासन प्रशासन से गुहार के बाद भी प्रभावित परिवार विस्थापन की आस लगाए हुए हैं लेकिन शासन प्रशासन द्वारा अभी तक पगनों गांव के विस्थापन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाया है। हालांकि प्रशासन ने प्रभावित गांव का सर्वे कर पांच परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर रहने के निर्देश दिए हैं वह चार परिवारों को टिनशैड वितरित किए हैं। लेकिन आए दिन हो रही वर्षा आपदा प्रभावित गांव की मुश्किलें बढ़ाता नजर आ रहा है। भूस्खलन का दायरा व मलबा वर्षा के पानी के साथ इतनी तेजी से बह रहा है कि गांव के सैकड़ों नाली भूमि भी नष्ट हो गई है। साथ ही पगनों गांव के नीचे बसे गांव गुलाबकोटी में भी भूस्खलन का मलबा आने से पांच परिवारों को सुरक्षा की दृष्टिगत प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों पर रहने के निर्देश दिए हैं। वहीं बदरीनाथ हाइवे भी इस बार पगनों भूस्खलन के मलबे से गुलाबकोटी के पास चार से अधिक बार बाधित होने से तीर्थयात्रियों के लिए भी मुसीबत का सबब बना है। ग्राम प्रधान रीमा देवी का कहना है कि गांव में दो साल पूर्व गांव के ऊपर हल्का भूस्खलन होना शुरू हो गया था जिसको लेकर छह माह पूर्व शासन को इस भूस्खलन को लेकर अवगत कराया गया था बावजूद इसके शासन प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया लिहाजा आज यह भूस्खलन जोन गांव पर कहर बरपा रहा है। ग्रामीण हल्की वर्षा में भी रातजगा करने को विवश हैं। कहा कि गांव में प्राथमिक विद्यालय भी पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है नौनिहाल पंचायत भवन पर पठन पाठन कर रहे हैं। गांव के दोनों ओर नाले उभरने से पूरा गांव का अस्तित्व ही धीरे धीरे खत्म होता जा रहा है। कहा कि शासन प्रशासन आपदा प्रभावितों के विस्थापन तो दूर की बात रही प्रभावितों की सुध लेना तक भूल गया है। ग्रामीण आए दिन रात वर्षा में घरों को छोड़कर गांव से आधा किमी सुरक्षित स्थानों पर शरण ले रहे हैं।