उत्तराखंड में प्रस्तावित वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दृष्टिगत उद्योग विभाग सेवा एवं आतिथ्य क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए नई सेवा नीति लाने जा रहा है। इस नीति में सेवा क्षेत्रों को शामिल करते हुए इनमें निवेशकों को आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन देना प्रस्तावित किया गया है। नीति का उद्देश्य सेवा क्षेत्र में तेजी से विकास के लिए सरल, सक्रिय और उत्तरदायी तंत्र को विकसित करना है।
उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें विकास की अपार संभावनाएं हैं। उत्तराखंड के घरेलू सकल उत्पाद (GDP) में सेवा क्षेत्र का योगदान 41 प्रतिशत रहा है। अभी यहां सेवा क्षेत्र के रूप में पर्यटन को ही केंद्र में रखा गया है। राज्य में स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा, शिक्षा, वेलनेस, कौशल विकास, व्यावसायिक सेवा व चिकित्सा के क्षेत्र में तेजी से काम हो रहा है। ऐसे में इन सेवा क्षेत्रों में और अधिक निवेश की संभावना है। इसे देखते राज्य में सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सेवा नीति बनाई जा रही है। औद्योगिक विकास विभाग द्वारा इसका खाका तैयार किया गया है। इस नीति में आतिथ्य, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाएं, शिक्षा, व्यावसायिक सेवाएं व कौशल विकास को शामिल किया गया है। नीति में स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्थापित होने वाले उद्योग व प्रयोगशालाओं के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है। शिक्षा के क्षेत्र में निवेशक को भूमि की लागत की प्रतिपूर्ति करना प्रस्तावित किया गया है। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में निवेश करने वालों को भी वित्तीय प्रोत्साहन प्रस्तावित है। इस नीति में पहले पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी व खेल भी शामिल थे लेकिन इनकी पृथक नीति बनने के कारण इन्हें इसके दायरे बाहर कर दिया गया है। इस नीति को अंतिम रूप देने के लिए मुख्य सचिव डा. एसएस संधु की अध्यक्षता में दो बैठकें हो चुकी हैं।