दंगे भड़काने वालों को मिलेगा नोबेल शांति पुरस्कार?

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7 अक्टूबर को नोबेल पीस प्राइज यानी नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान होगा। टाइम मैगजीन के मुताबिक, नोबेल पीस प्राइज के लिए जिन लोगों या संस्थाओं के नाम रेस में हैं, उनमें दो भारतीय नागरिक भी हैं। इनके नाम हैं प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबैर। दोनों ‘ऑल्ट न्यूज’ (Alt News) नाम की फैक्ट चेकिंग वेबसाइट चलाते हैं। दोनों ऑल्ट न्यूज चलाने वाली कंपनी प्रवदा मीडिया हाउस के डायरेक्टर भी हैं।
 
मोहम्मद जुबैर लगातार विवादों में रहे हैं। धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई थी। 22 दिन जेल में रहने के बाद फिलहाल उन्हें सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली हुई है। दिल्ली में राष्ट्र स्वाभिमान दल के संस्थापक दीपक शर्मा ने जुबैर पर यह मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें जुबैर पर सोशल मीडिया में हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करने और विवादित तस्वीरें पोस्ट कर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप थे।
 
 
टाइम मैगजीन ने लिखा- जुबैर ने हेट स्पीच रोकने की कोशिश की
टाइम मैगजीन ने जुबैर और प्रतीक के नॉमिनेशनल की जानकारी देते हुए लिखा- प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबैर भारत में गलत सूचनाओं से लगातार मुकाबला कर रहे हैं। यहां हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा पर मुसलमानों के खिलाफ अक्सर भेदभाव के आरोप लग रहे हैं। सिन्हा और जुबैर ने सोशल मीडिया पर चलने वाली अफवाहों और फर्जी खबरों को खारिज करने का काम किया है। साथ ही वे हेट स्पीच पर लगाम लगाते रहे हैं।
 
यह टाइम मैगजीन के आर्टिकल से लिया गया स्क्रीनशॉट है, जिसमें मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा के नॉमिनेशन की जानकारी दी गई है।
यह टाइम मैगजीन के आर्टिकल से लिया गया स्क्रीनशॉट है, जिसमें मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा के नॉमिनेशन की जानकारी दी गई है।
 
मैगजीन ने आगे लिखा है- भारतीय अधिकारियों ने जुबैर को जून में एक मीम पोस्ट करने पर गिरफ्तार किया था, जिसे उन्होंने चार साल पहले ट्वीट किया था। दुनियाभर के पत्रकारों ने गिरफ्तारी की निंदा की थी और तर्क दिया था कि यह उनकी तरफ से किए जा रहे फैक्ट चेकिंग के खिलाफ बदले की कार्यवाही थी। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने 28 जून को दिए बयान में कहा था, “समाज का ध्रुवीकरण करने और राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़काने के लिए दुष्प्रचार करने वालों ने Alt News की सतर्कता का विरोध किया है।” पत्रकारों की सुरक्षा करने वाली समिति ने जुबैर की रिहाई की मांग करते हुए कहा था, “भारत में प्रेस की स्वतंत्रता के लिए यह बड़ा झटका है। ऐसा करके सरकार ने सांप्रदायिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने वालों के लिए असुरक्षित वातावरण बनाया है।”
मोहम्मद जुबैर ने 24 मार्च, 2018 को यह ट्वीट किया था। इसी को लेकर दर्ज मामले में उन्हें 22 दिन जेल में रहना पड़ा था।
 
2018 से जुड़े विवादित ट्वीट पर हुई थी गिरफ्तारी
जुबैर ने फिल्म निर्माता ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘किसी से ना कहना’ का एक क्लिप शेयर किया था। इसमें एक होटल के बाहर बोर्ड नजर आ रहा है, जिस पर हिंदी में हनुमान होटल लिखा हुआ था। जुबैर ने इस पोस्ट के कैप्शन में लिखा था बिफोर 2014 हनीमून होटल, आफ्टर 2014 हनुमान होटल। इस पोस्ट के जरिए जुबैर पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप है। इसी मामले में 27 जून को FIR होने के बाद 28 जून को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जुबैर को अरेस्ट कर लिया था।