पीएम मोदी के यूसीसी पर दिए बयान पर ओवैसी भड़के! कह दी ऐसी बात

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी भोपाल में मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित  किया। इस दौरान उन्होंने मुख्तलिफ मसलों का जिक्र कर विपक्षियों पर जोरदार प्रहार किया। प्रधानमंत्री ने जहां पटना में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक पर करारा प्रहार किया तो वहीं दूसरी तरफ यूसीसी और पसमांदा मुस्लिमों को लेकर भी पूर्व की कांग्रेस सरकार को सवालिया कठघरे में खड़ा किया। पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व की कांग्रेस सरकार ने हमेशा से ही पसमांदा मुस्लिमों को अपने राजनीतिक हित के रूप में देखा है। वहीं, प्रधानमंत्री ने यूसीसी पर सवाल उठा रहे विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर किसी परिवार में दो कानून होंगे, तो क्या वह परिवार चल पाएगा? जवाब बिल्कुल स्पष्ट है, नहीं चल पाएगा, इसलिए हम यूसीसी को जमीन पर उतारने की कवायद शुरू कर चुके हैं, लेकिन कुछ दल महज अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इसका राजनीतिकरण कर रहे हैं।

बता दें कि यूसीसी को जमीन पर उतारने की कवायद पिछले कई दिनों से चल रही है। बीते दिनों उत्तराखंड सरकार ने मीडिया के सामने इसका मसौदा भी पेश किया था, जिसमें महिलाओं के विकास से लेकर शिक्षe, स्वास्थ्य सहित अन्य मुद्दे शामिल थे। लेकिन, अब यूसीसी को लेकर छिड़ा सियासी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस सहित अन्य दल इसका विरोध कर रहे हैं। इसे संविधान द्वारा प्रद्त अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ बता रहे हैं। जिस पर आज राजधानी भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बड़ा बयान देकर कांग्रेस सहित अन्य दलों को आईना दिखाया है। वहीं, पीएम मोदी के उक्त बयान पर एआईएमआईएम के प्रमुख ओवैसी की भी  प्रतिक्रिया सामने आई है। जिसमें उन्होेंने क्या कुछ कहा है। आइए, आगे आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

दरअसल, ओवैसी ने पीएम मोदी के उक्त बयान पर कहा कि “भारत के प्रधान मंत्री भारत की विविधता और इसके बहुलवाद को एक समस्या मानते हैं। इसलिए, वह ऐसी बातें कहते हैं… क्या आप यूसीसी के नाम पर देश के बहुलवाद और विविधता को छीन लेंगे?… जब वह यूसीसी की बात करते हैं, तो वह हिंदू नागरिक संहिता की बात कर रहे हैं…मैं उन्हें चुनौती देता हूं – क्या वह हिंदू अविभाजित परिवार को खत्म कर सकते हैं?…जाएं और पंजाब में सिखों को यूसीसी के बारे में बताएं, देखें वहां क्या प्रतिक्रिया होगी…”

वहीं, ओवैसी ने पीएम मोदी पर तीन तलाक को लेकर भी निशाना साधा। दरअसल पीएम मोदी ने ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि पाकिस्तान में भी तीन तलाक पर प्रतिबंध है, लेकिन भारत में कुछ लोग इसे लेकर हो हल्ला कर रहे हैं। जिस पर ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री आखिरकार पाकिस्तान के कानून से इतनी प्रेरणा क्यों ले रहे हैं? कुछ खुलकर बताएंगे कि आखिर माजरा क्या है। ओवैसी ने आगे कहा कि मोदी जी को पाकिस्तान के क़ानून से इतनी प्रेरणा क्यों मिल रही है? आपने तो यहां तीन तलाक़ के ख़िलाफ़ क़ानून भी बना दिया, लेकिन उसका ज़मीनी स्तर पर कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ा।बल्कि महिलाओं पर शोषण और बढ़ गया है। हम तो हमेशा से माँग कर रहे हैं की क़ानून से समाज-सुधार नहीं होगा। ओवैसी  ने आगे कहा कि अगर कानून बना ही है, तो उन मर्दों के खिलाफ भी बनना चाहिए, जो कि शादी करने के बाद अपनी बीवी को  छोड़ देता है, लेकिन  बीजेपी ने इस पर कानून नहीं बनाएगी। वहीं, ओवैसी ने ओबामा का भी जिक्र कर पीएम मोदी पर निशाना साधा।

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दरअसल, अमेरिकी दौरे के दौरान ओबामा ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन को सुझाव दिया था कि पीएम मोदी से द्विपक्षीय वार्ता के दौरान अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा जरूर उठाए, क्योंकि उनके कार्यकाल  में अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं और मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि अगर य़ह सिलसिला आगे भी जारी रहा, तो आगामी दिनों में भारत विभाजन की ओर बढ़ेगा, जो कि उसके हितों के लिए उचित नहीं है। वहीं, इससे ओबामा ने सीएनएन को दिए इंटरव्यू में य़ह भी कहा था कि अगर मुझे पीएम मोदी, जिन्हें मैं अच्छे से जानता हूं, वार्ता करने का मौका मिले, तो मैं निश्चित तौर पर भारत में अल्पसंख्यकों के प्रति बढ़ रहे हमले का मुद्दा उठाउंगा। बता दें कि ओबामा द्वारा किए गए इस मुद्दा का जिक्र किए जाने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी की घेराबंदी की थी। वहीं, अब मध्य प्रदेश में जनसभा को संबोधित करने के क्रम में पीएम मोदी ने बीजेपी को मुस्लिम हितैषी पार्टी के रूप में पेश करने की कोशिश की है।

 

वहीं, पीएम मोदी द्वारा यूसीसी को उचित ठहराने को लेकर मुस्लिम पर्सनल बोर्ड का भी बयान सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री को याद रखना चाहिए कि उन्होंने डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान की शपथ ली है। देश के सभी वर्गों को संविधान पर भरोसा है और वे इसे बदलने नहीं देंगे।

 

वहीं, यूसीसी पर डीएमके लीडर टीकेएस एलंगोवन ने कहा कि समान नागरिक संहिता सबसे पहले हिन्दू धर्म में लायी जानी चाहिए। एससी/एसटी सहित प्रत्येक व्यक्ति को देश के किसी भी मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। हमें यूसीसी सिर्फ इसलिए नहीं चाहिए क्योंकि संविधान ने हर धर्म को सुरक्षा दी है। बता दें कि देश की राजनीति में यूसीसी को लेकर शुरू हुआ सियासी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां बीजेपी इसकी वकालत कर रही है, तो वहीं कांग्रेस सहित अन्य दलों की ओर से इसका विरोध किया जा रहा है। अब ऐसे में इस पूरे मुद्दे को लेकर शुरू हुआ विवाद  आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है।