‘ऐसी टपोरी भाषा…’, आदिपुरुष के डायलॉग पर भड़की कांग्रेस, जानें क्या कहा?

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नई दिल्ली। फिल्म ‘आदिपुरुष’ को लेकर जारी विरोध पहले महज दर्शकों की परिधि तक ही सीमित था, लेकिन अब इसका दायरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब इस पूरे विवाद पर सियासतदान भी कूद रहे हैं। बहुत मुमकिन है कि फिल्म को लेकर जारी विवाद में सभी सियासतदान अपने लिए सियासी हित तलाशने की कोशिश करेंगे। इस बीच इसी कोशिश में कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत भी जुट गई है। उन्होंने आदिपुरुष को लेकर जारी बवाल पर ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में उन्होंने जहा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जिक्र किया, तो वहीं मनोज मुंतशिर को भी आड़े हाथों लिया है। दरअसल, मनोज मुंतिशर ने ही फिल्म के डॉयलॉग लिखे हैं, जिसे लेकर लोगों में आक्रोश है। फिल्म देख चुके दर्शकों का कहना है कि फिल्म में असभ्य शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। भगवान हनुमान से लेकर मां तक के मुख से अमर्यादित संवाद बुलवाए गए हैं।

इस बीच फिल्म डॉयलॉग लिखने वाले मनोज मंतुशिर मीडिया के सामने आए और उन्होंने बताया कि क्यों ऐसा संवाद लिखा गया। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि आजकल के लोग खुद इस फिल्म से कनेक्ट कर सकें, इसलिए ऐसी भाषा शैली का उपयोग किया गया। इस बीच उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर क्यों सिर्फ भगवान हनुमान की भाषा शैली और संवाद पर सवाल उठाए जा रहे हैं। अगर सवाल ही उठ रहे हैं, तो भगवान राम और मां सीता की भाषा शैली और संवाद पर भी उठने चाहिए। हालांकि, फिल्म में मां सीता को भारत की बेटी बताने की वजह से नेपाल के लोगों में  आक्रोश है। नेपाल के सभी सिनेमाघरों में फिल्म के रिलीज होने पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि जब तक फिल्म के संवाद में बदलाव नहीं किए जाएंगे, तब तक फिल्म रिलीज नहीं की जाएगी।

 

इस बीच अब कांग्रेस की ओर से मोर्चा संभालती हुई सुप्रिया श्रीनेत ने मनोज मंतुशिर को निशाने पर लिया है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि, ‘हमारे आराध्य भगवान श्रीराम मर्यादापुरुषोत्तम है और प्रभु श्री हनुमान सौम्यता और गम्भीरता का प्रतीक हैं। 1987 में जब श्री रामानन्द सागर ने रामायण धारावाहिक बनाया, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व० राजीव गांधी जी ने कहा था कि “ ‘रामायण’ ने लाखों दर्शकों के मन-मस्तिष्क को प्रज्वलित कर दिया है।‘रामायण’ ने विशेषतौर पर देश के युवाओं में भारत की महान संस्कृति, परंपरा और नैतिक मूल्यों का संचार किया है।” उस रामायण के लेखक रामानन्द सागर जी थे, जिन्होंने करोड़ों लोगों की आस्था को टपोरी भाषा से आहत नहीं किया अपितु सियाराम की एक मधुर, सौम्य और मनमोहक छवि समाज के मन-मस्तिष्क पर अंकित कर दी। धर्म और धर्म के कारोबार में यही अंतर है। अपनी चाटुकारिता के बल पर सस्ती लोकप्रियता तो मिल जाएगी, बड़े शो भी मिल जाते हैं, लेकिन हुनर ना होना आड़े ज़रूर आता है। जो हनुमान को ‘तेरे बाप की जली’ कहलवा दे, वो लेखक तो विद्रूप है ही, लेकिन हिंदू भी बड़ा भोंडे क़िस्म का है।

इस बीच उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का भी जिक्र किया जिससे साफ परिलक्षित होता है कि अब यह मामला आम दर्शकों के बीच ही नहीं, बल्कि सियासतदानों के बीच भी विवाद का केंद्र बन रहा है। हालांकि, अभी तक बीजेपी की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। बहुत मुमकिन है कि अगर बीजेपी की ओर से  इस पर कोई प्रतिक्रिया आती है, तो कांग्रेस अपने हाथ से ये मौका नहीं जाने देगी। वैसे  भी इस साल के अंत में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके अलावा अगले वर्ष लोकसभा चुनाव का बिगुल भी बजेगा, तो ऐसे में इस दौरान आने वाले सभी मुद्दों में अपने लिए सियासी हित तलाशने की कोशिश सभी पार्टियों की ओर से की जाएगी। वहीं, अब यह पूरा मामला कोर्ट में भी पहुंच चुका है। दरअसल, हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर फिल्म पर रोक लगाने की मांग की है, लेकिन यहां गौर करने वाली बात है कि बेशक लोगों में फिल्म को लेकर आक्रोश और विरोध का आलम हो, लेकिन फिल्म की कलेक्शन बता रही है कि लोगों में फिल्म को देखने की आतुरता अपने चरम पर पहुंच चुकी है।