सजा के बाद गैंगेस्टर आरोपी ने की साबरमती जेल भेजने की मांग, बोला मुझे यहां नही रहना 

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प्रयागराज: जरायम की दुनिया में जिस अतीक अहमद तूती बोलती थी, आज वह बेबस नजर आया. 17 साल पुराने केस में अतीक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. उमेश पाल अपहरण कांड में अतीक अहमद, हनीफ और दिनेश पासी को प्रयागराज की एमपी-एमएलए अदालत ने दोषी करार दिया और फिर इन तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.
सजा सुनने के बाद अतीक ने कोर्ट से गुजारिश करते हुए कहा, ‘मुझे साबरमती जेल में ही भेज दो, मुझे यहां नहीं रहना, पुलिस मुझपर केस लाद देगी.’ हालांकि अतीक की गुजारिश पर कोर्ट ने कुछ नहीं कहा. इसके बाद अतीक अहमद प्रयागराज कोर्ट से वापस नैनी सेंट्रल जेल पहुंच गया है. अतीक के वकील का दावा है कि उसे साबरमती जेल ले जाया जाएगा.
कोर्ट की सांकेतिक तस्वीर
अतीक अहमद के वकील ने कहा कि हम ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. गौरतलब है कि साल 2006 में उमेश पाल को अगवा करने केस में कुल 10 आरोपी थे. इनमें से कोर्ट ने अतीक के भाई अशरफ समेत 7 को बरी कर दिया लेकिन अतीक अहमद, दिनेश पासी और अतीक के वकील सौलत हनीफ को उम्रकैद की सजा सुनाई है.
क्या है उमेश पाल किडनैपिंग केस?
राजू पाल हत्याकांड के चश्मदीद उमेश पाल का 28 फरवरी 2006 को अतीक अहमद ने अपहरण कर लिया था. उमेश पाल को अगवा करके कर्बला इलाके के दफ्तर में ले जाया गया. उसे मारा पीटा गया. बिजली के झटके तक दिये गये और हलफनामे पर जबरन दस्तखत कराकर 1 मार्च 2006 को अदालत में ये गवाही भी दिला दी गई कि राजू पाल की हत्या के वक्त वो घटना स्थल पर मौजूद नहीं था. अतीक अहमद ने एक बार तो अदालत में उमेश पाल से अपने पक्ष में गवाही दिला ली थी लेकिन 2007 में यूपी की सरकार बदलते ही उमेश पाल ने 5 जुलाई को सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के अलावा 10 अन्य के खिलाफ अपहरण, मारपीट, धमकी जैसे गुनाहों के आरोप में मुकदमा दर्ज करा दिया था.
एफआईआर 270/2007 नाम के इस मुकदमे में अतीक अहमद, उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ, दिनेश पासी, खान सौकत हनीफ, अंसार बाबा को आरोपी बनाया गया. जांच के दौरान जावेद उर्फ बज्जू, फरहान, आबिद, इसरार, आसिफ उर्फ मल्ली, एजाज अख्तर को भी आरोपी बनाया गया. पुलिस की रिपोर्ट दाखिल होते ही 2009 में अदालत ने आरोप तय कर दिये थे. इसके बाद अदालत में गवाही का सिलसिला शुरू हुआ तो उमेश पाल की ओर से पुलिसकर्मियों समेत कुल 8 गवाह पेश हुए जबकि अतीक गैंग ने 54 गवाहों से गवाही दिला दी थी. इसके बाद जब उमेश पाल के मुकदमे की सुनवाई में देर होने लगी तो उमेश पाल ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट के आदेश के बाद 2 महीने में  सुनवाई पूरी की गई और उसी सुनवाई में आखिरी गवाही देने के बाद उमेश पाल घर लौटे थे जब उनकी हत्या हो गई. इस केस में आज कोर्ट ने अतीक समेत तीन लोगों को दोषी ठहराया है.
राजू पाल को मारी गई थी 19 गोली
उमेश पाल उस मुकदमे के अहम गवाह थे, जो वारदात 18 साल पहले घटी थी. दरअसल, 2004 में राजू पाल बीएसपी के टिकट से विधायक चुन लिया गया था. उस चुनाव में समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी और अतीक अहमद का भाई अशरफ हार गया था. नतीजों के 3 महीने के अंदर ही 25 जनवरी 2005 को अतीक गैंग ने राजू पाल पर हमला कर दिया था. 25 जनवरी को विधायक राजू पाल एसआरएन हॉस्पिटल से निकले थे. उनके काफिले में एक क्वालिस और एक स्कॉर्पियो कार थी.
क्वालिस कार खुद राजू पाल चला रहे थे और उनके साथ की सीट पर रुखसाना बैठी थी. जैसे ही राजू पाल जीटी रोड पर पहुंचे एक स्कॉर्पियो कार ने उन्हें ओवरटेक किया और तब तक राजू पाल के सीने में एक गोली लग चुकी थी. स्कॉर्पियो से 5 हमलावर उतरे और राजू पाल पर धुआंधार गोलियां बरसा दीं. हमले में रुखसाना जख्मी हो गई, संदीप यादव और देवीलाल की मौत हो गई. राजू पाल को 19 गोलियां मारी गई थीं.
अभी और बढ़ेंगी अतीक की मुश्किलें
अतीक अहमद के खिलाफ पहली बार अदालत ने सजा का ऐलान किया है, जबकि पिछले 18 साल से उत्तर प्रदेश के हाई प्रोफाइल राजू पाल मर्डर केस में अतीक अहमद के गुनाहों का इंसाफ होना अभी बाकी है. इतना ही नहीं, अब अतीक अहमद के खिलाफ उमेश पाल की हत्या के मामले में भी जांच तेजी से बढ़ने की उम्मीद है.