उत्तरकाशी: टनल में फंसे मजदूरों से हुआ संपर्क! पहुंचाई गई मदद

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उत्तरकाशी के यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए मलबा हटाने का कार्य जारी है। मलबा हटाने के लिए हैवी एक्सकैवेटर मशीनों को जुटाया गया है। वॉकी-टॉकी के थ्रू टनल में फंसे मजदूरों से संपर्क हुआ हैं। मजदूरों ने बताया कि वह सुरक्षित हैं। फंसे हुए मजदूरों द्वारा खाने की मांग की गई थी। टनल में पानी की आपूर्ति के लिए बिछी पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है । इसी पाइपलाइन के जरिए रात में खाने के लिए कुछ पैकेट कंप्रेसर के जरिए दबाव बनाकर टनल में फंसे मजदूरों तक भेजे गए हैं। सुरंग के अंदर पाइपलाइन राहत और बचाव अभियान में काफी मददगार साबित हो रही है। इसी पाइपलाइन के जरिए मजदूरों से कम्युनिकेशन स्थापित करने का काम भी लिया जा रहा है। पहले टनल में फंसे मजदूर तक संदेश भेजने के लिए कागज पर लिखे संदेश की पर्ची पाइप लाइन के जरिए भेजी गई थी। बाद में खाने के लिए चने के पैकेट भी इसी पाइपलाइन के जरिए भेजे गए। राहत और बचाव अभियान में समन्वय के लिए 24 घंटे अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। बीती रात से शिफ्ट में समन्वय देख रहे जल संस्थान के प्रभारी ईई दिवाकर डंगवाल ने तड़के टनल से बाहर आने पर बताया की मलबा हटाने का कार्य तेजी से जारी है। रात में फंसे मजदूरों तक संपर्क स्थापित करने और उन तक भोजन और ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की कवायद अनेक बार की गई है। सुरंग में मलबा हटाने का कार्य लगातार जारी है। सर्किल ऑफिसर प्रशांत कुमार ने कहा कि मलबा लगभग 60 मीटर तक है। जैसे हम मलबा हटा रहे हैं, ऊपर से मलबा गिर रहा है। हमने लगभग 15-20 मीटर तक मलबा हटा लिया है। सभी लोग सुरक्षित हैं।

आपको बता दें कि चारधाम सड़क परियोजना के तहत यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा से पोलगांव के बीच राज्य की सबसे लंबी (4.5 किमी) सुरंग बनाई जा रही है। जिसमें अब करीब 500 मीटर हिस्सा ही सुरंग के आर-पार होने के लिए बचा है। दिन-रात दो शिफ्ट में मजदूर इस सुरंग का निर्माण कार्य कर रहे हैं। बीते शनिवार रात आठ बजे शिफ्ट शुरू हुई थी। जिसमें 40 से 50 मजदूर काम पर गए थे। यह शिफ्ट रविवार को बड़ी दीपावली के दिन सुबह 8 बजे खत्म होने वाली थी। जिसके बाद सभी मजदूर दीपावली की छुट्टी मनाने के लिए उत्साहित थे। लेकिन इससे पहले ही सुरंग के सिलक्यारा वाले मुहाने से 230 मीटर अंदर सुरंग टूट गई। पहले धीरे-धीरे मलबा गिरा। जिसे सभी ने हल्के में लिया। फिर अचानक भारी मात्रा में मलबा आया और सुरंग बंद हो गई। इस दौरान 3-4 मजदूरों ने भाग कर अपनी जान बचाई। लेकिन अन्य सुरंग के अंदर ही फंस गई। जिनकी संख्या 35 से 40 के करीब बताई जा रही है। सुरंग के निर्माणकार्य में लगे झारखंड निवासी मजदूर हेमंत नायक ने बताया कि 12 घंटे की शिफ्ट में करीब 65 से 70 मजदूर काम करते हैं।