उत्तराखंड में मौसम का सितम! जगह-जगह भूस्खलन से जनजीवन प्रभावित, कई जिलों में चेतावनी

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उत्तराखंड में मानसून भारी गुजर रहा है। भारी वर्षा व भूस्खलन से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होने के साथ जानमाल की व्यापक क्षति उठानी पड़ रही है। 15 जून से मानसून के शुरू होने के बाद से अब तक आपदा से एक हजार करोड़ रुपये की क्षति का अनुमान है। इसमें भी मानसून से सड़कों को सर्वाधिक क्षति पहुंची है। मानसून अभी सक्रिय है और क्षति का आकलन भी चल रहा है। वहीं अगर आज की मौसम की बात करें तो प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में आंशिक बादल छाए रह सकते हैं। आज भी देहरादून समेत आठ जिलों में गरज-चमक के साथ तीव्र बौछारों के एक से दो दौर हो सकते हैं। इसे लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है।मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार आज प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में आंशिक बादल छाये रह सकते हैं। देहरादून, पौड़ी, टिहरी, नैनीताल, चंपावत, बागेश्वर, ऊधमसिंह नगर और पिथौरागढ़ में गरज-चमक के साथ तीव्र बौछारों के एक से दो दौर हो सकते हैं। इसे लेकर यलो अलर्ट जारी किया गया है।

वहीं विकासनगर तहसील के जाखन गांव में लगातार भूधंसाव हो रहा है। इसके अलावा गांव के ऊपर लांघा-मटोगी मोटर मार्ग के धंसने का क्रम भी जारी है। इससे बिन्हार क्षेत्र के ग्रामीणों का संपर्क अन्य जगह से कट गया है। सबसे ज्यादा समस्या उन ग्रामीणों को आ रही है, जिन्होंने दरार आए मकानों से सामान तो निकाल लिया, लेकिन अब वे इस सामान को कहां रखें। हालांकि प्रशासन ने पष्टा कैंप व लांघा इंटर कालेज में सामान रखवाने की वैकेल्पिक व्यवस्था बनाई है, लेकिन दो स्कूलों में इससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षा विभाग वैकल्पिक व्यवस्था बनाने को कवायद कर रहा है। जाखन गांव के ग्रामीणों का जनजीवन पूरी तरह से पटरी से उतरा हुआ है। बता दें कि जाखन गांव में बीते बुधवार सुबह लांघा-मटोगी मोटर मार्ग से भूस्खलन हुआ। सड़क में चौड़ी दरारें पड़ गईं, जिससे सड़क धंसनी शुरू हो गई। दरार बढ़कर गांव तक पहुंच गई। भूधंसाव से कुछ पल के भीतर ही 10 मकान मलबे के ढेर में बदल गए, जबकि 10 मकान क्षतिग्रस्त हो गए। अतिवृष्टि के कारण समूचा उत्तराखंड आपदा की स्थिति से जूझ रहा है। नदी-नालों का वेग भयभीत कर रहा है तो भूस्खलन, भूधंसाव के कारण सार्वजनिक व निजी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंच रहा है। आपदा ने सर्वाधिक क्षति पहाड़ की जीवन रेखा कही जाने वाली सड़कों को पहुंचाई है। चारधाम को जोड़ने वाली आल वेदर रोड समेत अन्य राजमार्ग हों या फिर राज्य राजमार्ग, जिला व संपर्क और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की सड़कें, सभी छलनी हुई हैं। ऐसे में पर्वतीय क्षेत्रों में कठिनाइयां भी बढ़ गई हैं।