उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश दिए कि ऐसी व्यवस्था बनाई जाए कि 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर लाभार्थियों को वृद्धावस्था पेंशन लगाने की व्यवस्था का सरलीकरण किया जाए। उन्होंने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत दर्ज शिकायतों पर दर्ज होने वाले मुकदमों में तत्काल कार्रवाई करने को भी कहा। मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत गठित राज्यस्तरीय सतर्कता और अनुश्रवण समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। 14 साल बाद हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि बैठक का आयोजन अब हर छह महीने में कराया जाए। उन्होंने एसी व एसटी आयोगों के अध्यक्षों को समिति का विशेष आमंत्रित सदस्य बनाने के भी निर्देश दिए। सीएम ने लंबित मामलों का समय से निपटारा करने और इसके लिए न्यायालयों में नियमित पैरवी करने, पीड़ितों को अनुमन्य सहायता राशि यथाशीघ्र देने व समस्याओं का गंभीरता से निपटारा करने के निर्देश दिए।
उन्होंने वृद्धावस्था पेंशन प्रक्रिया का सरलीकरण करने को कहा। इसके लिए उन्होंने अन्य राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस का भी अध्ययन करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि एससी व एसटी वर्ग की विभिन्न योजनाओं का लाभ लाभार्थियों को एक ही प्लेटफार्म पर देने के लिए एकीकृत व्यवस्था बनाई जाए। बैठक में वित्त मंत्री प्रेम चन्द अग्रवाल ने कहा कि अधिनियम और विभागीय योजनाओं के बारे में लोगों को पूरी जानकारी हो इसके लिए जिलास्तर पर आयोजित बहुउद्देशीय कल्याण शिविरों के माध्यम से और विकासखंड कार्यालयों में वॉल पेंटिंग एवं फ्लैक्स के माध्यम से भी प्रचार किया जाए। कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोगों में कार्यों में तेजी लाने के लिए वरिष्ठ अथवा पीसीएस अधिकारियों की नियुक्ति की जाए। उन्होंने बैकलॉग के पदों को भरने के लिए और तेजी लाने की बात कही। बैठक में सचिव समाज कल्याण डॉ. नीरज खैरवाल ने विस्तृत रूप से प्रस्तुतीकरण दिया।