चारधाम यात्रा शुरू होने के 16 दिन में 56 तीर्थयात्रियों ने दम तोड़ दिया। इसमें 50 साल से अधिक आयु के 40 यात्री शामिल हैं। हार्टअटैक और पल्मोनरी एडिमा (फेफड़ों के वायु कोशिकाओं में तरल पदार्थ की मात्रा अधिक होने) के कारण 47 तीर्थयात्रियों की मौत हुई है। केदारनाथ धाम के यात्रा मार्ग पर सबसे अधिक 27 यात्रियों की अब तक मौत हो चुकी है। शुक्रवार सुबह तक यह आंकड़ा 23 था, लेकिन धाम में शाम को चार और यात्रियों की हार्ट अटैक से मौत हो गई। चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री यमुनोत्री उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित हैं। जहां पर ठंड के साथ ही ऑक्सीजन की कमी से सांस से संबंधित दिक्कतें आती है। 10 मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा में 15 दिनों में हृदय गति रुकने, पल्मोनरी एडिमा, हाईपोथर्मिया (शरीर का तापमान कम होने पर हृदय गति रुक जाती है) और सिर पर गंभीर चोट से 52 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है।
गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने यात्रा के लिए आए 52 श्रद्धालुओं की मौत की पुष्टि की। कहा, मृतकों में अधिकांश यात्री 60 वर्ष से अधिक के हैं। ज्यादातर की मौत हृदय गति रुकने से हुई हैं। यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की नियमित स्क्रीनिंग की जा रही है। स्वास्थ्य जांच में जिन श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, उन्हें डॉक्टर यात्रा न करने की सलाह दे रहे हैं। इसके बाद भी कोई यात्रा पर जा रहा है, तो उनसे लिखित में फार्म भरवाने की कार्रवाई की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने यात्रा पर आ रहे तीर्थयात्रियों को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्वास्थ्य को लेकर एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं। इसमें केदारनाथ और यमुनोत्री धाम में पैदल चढ़ते समय प्रत्येक एक से दो घंटे के बाद पांच से 10 मिनट तक विश्राम करें। यात्रा के लिए गरम कपड़े, बारिश से बचाव के लिए रेनकोट, छाता, स्वास्थ्य जांच के लिए पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर साथ में रखें। हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, मधुमेह से ग्रसित यात्री जरूरी दवा और डॉक्टर का नंबर पास रखें। यात्रा के दौरान सीने में दर्द, सांस की तकलीफ, चक्कर आना, उल्टी आने पर नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या मेडिकल रिलीफ में प्राथमिक उपचार लें।
धाम मृतकों की संख्या
केदारनाथ 23
बदरीनाथ 14
यमुनोत्री 12
गंगोत्री 03
कुल 52