देश की आजादी का स्वर्णिम वर्ष हम मना चुके हैं और 76वें आजादी के पर्व को मनाने की तैयारियां भी कर रहे हैं, लेकिन वास्तव में आजादी के इतने सालों में पहाड़ों की तस्वीर बदल पाई है, जिसकी परिकल्पना करते हुए उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना की गई थी, प्रदेश आज विकास के कई मॉडल दिखाकर देश दुनिया में अपनी भले ही ख्याती भी कमा रहा हो, लेकिन जमीनी हकीकत की वो तस्वीर सत्ता के हुक्मरानों को दिखाई नहीं देती जो जिन्दगियां हर रोज मौत से जंग लडती है, और बुनियादी सुविधाओं के लिए हर रोज सत्ता के आकाओं का सिर्फ मुंह ताकती रह जाती है…. जी हां तो आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं उत्तराखंड के एक ऐसे ही गांव की तस्वीर जिसे देखकर खुल जाएगी विकास के दावों की पोल।
ये तस्वीरें बयां करती है प्रदेश के विकास की हकीकत, जो बच्चे जान रोज जान जोखिम में डाल कर इन तारों से गुजर कर रोज मौत से जंग लडते हैं, क्योंकि जरा सी चूक और नीचे बहती भगिरथी का तेज प्रवाह सीधे मौत के मुंह में समाने जैसा है, इस गांव के लोगों के लिए भले ही आम बात हो गई हो लेकिन हकीकत तो ये है कि इनके दर्द की आह शायद ही कभी सत्ता के हुक्मरानों के कानों तक पहुंची हो, दरअसल ये गांव है उत्तरकाशी जिले का स्यूणा गांव जो जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर है, जहां भागीरथी का जल स्तर बढ़ने से भागीरथी को पार करना ग्रामीणों व् बच्चो को मुश्किल हो रहा हैं. कई वर्षो से इस गाँव के ग्रामीण इस समस्या से जूझ रहे हैं. मुख्यालय से महज 4 से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्यूणा गांव का जनजीवन अत्याधुनिक युग में भी ट्रॉली के सहारे चल रहा है। वह भी जर्जर स्थिति में है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। गांव पहुंचने के लिए ग्रामीणों को तेखला से गंगा भागीरथी के किनारे पत्थर डालकर बनाए गए, अस्थायी रास्ते से जंगल होते हुए आवाजाही करनी पड़ती है। ग्रामीणों की मजबूरी है कि पानी कम होने पर ग्रामीण भागीरथी नदी पर लड़की की अस्थायी पुलिया का निर्माण करते हैं जो नदी का पानी बढ़ने पर बह जाती है। ग्रामीणों ने प्रशासन व विभाग ने कई बार पुल के निर्माण के साथ ही नई इलेक्ट्रीक ट्राली की भी मांग की गई लेकिन किसी ने भी जनता की मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया, जिससे ग्रामीण आज भी परेशानियों से जूझ रहे हैं।
बहरहाल प्रदेश आज भले ही विदेशी मेहमानों की आवभगत कर जी 20 के सफल आयोजन को लेकर जहां विदेशी मेहमानों को प्रदेश की वो तस्वीर दिखा रहे हैं जिससे प्रदेश की ख्याती और बढे, लेकिन वास्तविक तस्वीर तो जनता जानती है जनाब, यदि सरकार खोखली तस्वीरों से अपनी नजरें हटाये और प्रदेश के दुरस्त और दुर्गम गांवों पर भी विकास की नजर दौड़ाएं तो शायद प्रदेश के यही दुर्गम स्थल दुनिया में अपनी ख्याति बना सकते हैं…।
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