उत्तराखंड के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में लोकसभा चुनाव के टिकट के लिए बेशक मारामारी न हो लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा में टिकट के दावेदारों की लंबी कतार है। दिग्गज नेताओं से लेकर पार्टी के युवा तुर्क तक चुनावी समर में ताल ठोंकने को बेताब हैं। जब से भाजपा के हलकों में कुछ सीटों पर प्रत्याशी बदलने की अटकलों ने जोर पकड़ा है उनके अरमान मचल रहे हैं और कोशिशें तेज हो रही हैं।
माना जा रहा कि जैसे-जैसे लोस चुनाव का समय नजदीक आएंगे, टिकट की दावेदारी पूरी तरह से खुलकर सामने आने लगेगी। ऐसी चर्चाएं हैं कि भाजपा केंद्रीय नेतृत्व लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन के मामले में भी पार्टी को सरप्राइज कर सकता है। वर्तमान में राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। 2014 और 2019 लोस चुनावों में भाजपा ने पांचों सीटों पर लगातार जीत दर्ज कीं। अल्मोड़ा-पिथौरागढ़, टिहरी गढ़वाल और हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा ने तीनों प्रत्याशी रिपीट किए थे। टिहरी गढ़वाल संसदीय सीट पर मालाराज्य लक्ष्मी शाह, हरिद्वार लोस में डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोस सीट पर अजय टम्टा सांसद हैं। 2014 में गढ़वाल लोस सीट पर मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी सांसद थे।
2019 में पार्टी ने खंडूड़ी के शिष्य तीरथ सिंह रावत को टिकट दिया और वह चुनाव जीते। नैनीताल-ऊधमसिंह नगर में 2014 में भगत सिंह कोश्यारी सांसद चुने गए थे। 2019 में उनकी इस सीट पर अजय भट्ट को उम्मीदवार बनाया गया, वह भी चुनाव जीते। अब भाजपा के राजनीतिक हलकों में यह कयास हैं कि पार्टी नेतृत्व प्रत्याशी चयन को लेकर चौंका सकता है। ऐसे में पार्टी में यह सवाल गरमा रहा कि पार्टी नेतृत्व पांचों सीटों पर प्रत्याशी रिपीट करेगा या सभी को बदलेगा, या कुछ सीटों पर नए चेहरों को मैदान में उतारेगा। पांच में से तीन लोस सीटों पर वर्तमान सांसदों का टिकट काटे जाने की ज्यादा चर्चाएं हैं। इन चर्चाओं ने पार्टी के उन चेहरों के उम्मीदों को पंख लगाएं हैं जो लोस चुनाव की दावेदारी कर रहे हैं। इनमें पार्टी के कुछ विधायक, पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व सांसद व पार्टी पदाधिकारी, युवा और महिला मोर्चा के पदाधिकारी भी शामिल हैं। टिहरी, अल्मोड़ा और हरिद्वार सीटों से तो प्रदेश संगठन को टिकट के लिए आवेदन तक मिल चुके हैं।