फिल्मी कोनाः 1 दिसंबर को रिलीज होगी सैम बहादुर! देश के पहले फील्ड मार्शल की बायोपिक, दिखेंगे ये ऐतिहासिक मोमेंट

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नई दिल्ली। सैम बहादुर फिल्म आगामी 1 दिसंबर को रिलीज होगी। लोग बेसब्री के साथ विक्की कौशल की इस फिल्म का इंतजार कर रहे हैं। भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की बायोपिक, बॉलीवुड के उन प्रोजेक्ट्स में से है जिनका इंतजार दो साल से ही किया जा रहा है। फिल्म में लीड रोल कर रहे विक्की कौशल का फर्स्ट लुक देखने के बाद से ही फिल्म लवर्स को तसल्ली हो गई थी कि वो इस रोल में खूब जमेंगे। सैम मानकशॉ बने विक्की कौशल से नजरें हटाना मुश्किल है। पुराने इंटरव्यूस और तस्वीरों में सैम जैसे दिखते हैं, उनकी बॉडी लैंग्वेज जैसी नजर आती है, विक्की पूरी तरह उसी सांचे में ढले हुए लगते हैं। ‘सैम बहादुर’ का टीजर देखते हुए विक्की से ध्यान हटा पाना वैसे तो बहुत मुश्किल काम है। लेकिन इस टीजर में सिर्फ विक्की ही नहीं हैं। बल्कि फिल्म की कहानी से कुछ ऐसी झलकियां भी नजर आती हैं, जो गारंटी हैं कि फिल्म की टैगलाइन एकदम सच साबित होने वाली है। ‘सैम बहादुर’ की टैगलाइन है- ‘जिंदगी उनकी इतिहास हमारा’ और सैम मानेकशॉ की कहानी कहने जा रही इस फिल्म के सिर्फ डेढ़ मिनट के टीजर में ही कुछ ऐसे मोमेंट्स हैं जो भारत के इतिहास में बड़ी जगह रखते हैं।

दूसरे विश्व युद्ध में सैम
भारतीय सेना के इतिहास में अपनी शानदार उपलब्धियों के लिए याद रखे जाने वाले सैम की बहादुरी का पहला किस्सा दूसरे विश्वयुद्ध का है। तब भारत आजाद नहीं हुआ था और ये एक कॉमन प्रैक्टिस थी कि नए भारतीय ऑफिसर्स को पहले ब्रिटिश सेना की किसी रेजिमेंट में भेजा जाता था। सैम ने ब्रिटिश सेना की सबसे सीनियर रेजिमेंट ‘रॉयल स्कॉट्स’ में सेकंड बटालियन से आर्मी जॉइन की। बाद में उन्हें बर्मा में मौजूद 12वीं फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में पोस्ट किया गया, जहां वो कैप्टन बनाए गए। 1942 में बर्मा की सिटांग नदी पर हुए युद्ध में सैम की बहादुरी का किस्सा दर्ज है। उनकी कंपनी ने घुसपैठ जापानी सेना को रोका था और पगोड़ा हिल पर कब्जा किया था। हिल पर कब्जे के बाद मानेकशॉ एक लाइट मशीन गन की फायरिंग मने बुरी तरह घायल हो गए थे। इस युद्ध में उनकी बहादुरी देख चुके मेजर जनरल डेविड कोवन को लगा कि सैम अब नहीं बचेंगे। रेड क्रॉस, ब्रिटिश सेना के ऑफिसर्स को दिया जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान होता है। इस सम्मान का नियम है कि ये मृत व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता। डेविड ने अपना मिलिट्री क्रॉस सैम की वर्दी पर लगा दिया। शेर सिंह नाम के सैनिक ने सैम को युद्ध से बाहर निकाला और उन्हें एक ऑस्ट्रेलियाई सर्जन के पास ले गए। इलाज के बीच जब सैम को होश आया और डॉक्टर ने उनसे पूछा कि क्या हुआ था? तो सैम ने कहा, ‘एक खच्चर ने लात मार दी’. डॉक्टर को सैम का ये ह्यूमर बहुत पसंद आया। इस ट्रीटमेंट में सैम के लीवर, फेफड़ों और किडनी से 7 गोलियां निकली थीं और उनकी अंतड़ियों का कुछ हिस्सा भी निकालना पड़ा था। बाद में लंदन गैजेट में एक नोटिफिकेशन जारी करके, सैम का रेड क्रॉस भी ऑफिशियल कर दिया गया था। ‘सैम बहादुर’ के टीजर में आपको युद्ध में घायल विक्की कौशल की झलक नजर आएगी।

गोरखा रेजिमेंट के सैम ‘बहादुर’
1969 में सेना प्रमुख बनने के बाद सैम मानेकशॉ, 8 गोरखा राइफल्स के दौरे पर थे। वहां उन्होंने एक अर्दली से उसका नाम पूछा, अर्दली ने जवाब दिया ‘हरका बहादुर गुरुंग’। सैम ने पलटकर अर्दली से पूछा कि क्या उसे उनका नाम पता है? अर्दली ने कुछ देर सोचने के बाद जवाब दिया- सैम बहादुर। यहीं से सैम मानेकशॉ का नाम सैम बहादुर हो गया। गोरखा राइफल्स के साथ सैम का पुराना इतिहास है।