मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में महिला व बाल अपराध पर प्रभावी नियंत्रण के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों में अपराधी को समय पर जांच कर सजा दिलाई जाए। इसके लिए ऐसे प्रकरणों को फास्टट्रैक कोर्ट के अधीन लाए जाने की व्यवस्था पर ध्यान दिया जाए। उन्होंने इन मामलों की जांच एवं सजा के आंकड़ों को भी सही तरीके से तैयार करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में महिला एवं बाल अपराध की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल अपराध के मामलों में विवेचना में किसी भी प्रकार की कमी न रहने पाए। साथ ही न्यायालयों में प्रभावी पैरवी भी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऐसा माहौल बने कि कोई अपराध करने की सोच भी न पाए। शिकायतकर्ता महिलाओं से समय-समय पर फीडबैक लिया जाए। जिलाधिकारी भी महिला अपराधों के संबंध में लगातार समीक्षा करें। विवेचना एवं पैरवी में कमी पाए जाने पर तत्काल उन कमियों को दूर करने के प्रयास किए जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध को रोकने के लिए जनसहभागिता जरूरी है। इस संबंध में महिलाओं और बाल संरक्षण एवं सुधार से जुड़े संगठनों से सहयोग लिया जाए। व्यवस्था इस प्रकार की बनाई जाए कि महिलाओं का इसके प्रति विश्वास बढ़े और वे निसंकोच अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें। बैठक में बताया गया कि गौरा शक्ति योजना के तहत हर थाने में हेल्प डेस्क बनाई गई है। राज्य स्तर पर महिला काउंसिल सेल गठित किया गया है। महिला अपराधों की विवेचना महिला अधिकारी द्वारा किए जाने की व्यवस्था बनाई गई है। प्रदेश में बाल अपराधों पर नियंत्रण के लिए हर जिले में विशेष किशोर पुलिस इकाई, बाल कल्याण पुलिस, बाल मित्र थाने की स्थापना और पॉक्सो कानून के पर्यवेक्षण को स्पेशल टास्क फोर्स भी गठित की गई है। ऑपरेशन स्माइल के तहत 2015 से 2021 तक 2221 बच्चे और 604 महिलाएं बरामद की गई हैं। वहीं ऑपरेशन मुक्ति के तहत 7670 बच्चों का सत्यापन किया गया है और 3603 बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराया गया है। बैठक में मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, सचिव मुख्यमंत्री विनय शंकर पांडेय व अपर सचिव न्याय सुधीर कुमार सिंह समेत पुलिस व गृह विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।