नई दिल्ली। राजधानी में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणियां की। इस दौरान कोर्ट ने राज्य सरकारों को इस मामले में सख्त एक्शन लेने के आदेश दिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को बैन करने के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि हमने जो पिछले आदेश दिए थे वो केवल दिल्ली के लिए नहीं थे। अदालत ने कहा कि पटाखों को बैन करने का हमारा आदेश पूरे देश के लिए था।
कोर्ट ने कहा कि हमने अपने पुराने आदेश में पटाखों पर पूर्ण रोक का मसला स्थानीय सरकार पर छोड़ा था। साथ ही हॉस्पिटल जैसी स्वास्थ्य के लिहाज से संवेदनशील जगहों पर पटाखे न चलाने, पटाखे चलाने की समय सीमा तय करने के लिए कहा था। अदालत ने यह भी कहा कि एनसीआर में आने वाले राजस्थान के इलाकों के लिए भी दिल्ली-एनसीआर वाले नियम लागू होंगे। यानी वहां भी पटाखों पर रोक रहेगी।
बता दें कि खराब वायु गुणवत्ता से जूझ रही दिल्ली में मंगलवार सुबह प्रदूषण का स्तर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। मंगलवार सुबह 7 बजे तक राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 395 दर्ज किया गया। पड़ोसी राज्य हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों ने भी वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक खराब है।
गाजियाबाद में एक्यूआई 338, गुरुग्राम में 364, नोएडा में 348, ग्रेटर नोएडा में 439 और फरीदाबाद में 382 दर्ज किया गया। इधर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर समेत देश भर के अन्य शहरों में बढ़ते प्रदूषण के मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
पंजाब में पराली जलाने, साथ ही देश के बाकी हिस्सों में विभिन्न कारणों से प्रदूषण के स्तर में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए अदालत ने कहा कि यह सिर्फ अदालत का काम नहीं है कि वह प्रदूषण को रोके, ये सभी की जिम्मेदारी है, खासकर सरकार की सबसे ज्यादा जवाबदेही है।