कठोर टैक्स नियम और अर्थव्यवस्था की खराब हालत देख चीन छोड़ भाग रहे अरबपति, इस देश में बना रहे ठिकाना

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बीजिंग। कोरोना के बाद से चीन की अर्थव्यवस्था काफी खराब है। विकास दर 4 फीसदी के करीब है। अगले दो साल तक विकास दर के तेज होने की उम्मीद नहीं दिख रही है। भारत उससे विकास दर में आगे है। विकास दर में पिछड़ने से चीन में व्यावसायिक गतिविधियां भी गड़बड़ाने लगी हैं। इसके संकेत इसी से मिल रहे हैं कि चीन के कई अरबपतियों ने हाल ही में सिंगापुर को अपना नया बसेरा बनाया है। कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों की वजह से अरबपति चीन को छोड़कर अपने कामकाज के लिहाज से सुरक्षित सिंगापुर का रुख कर रहे हैं। चीन में बीते दिनों में टैक्स ना चुकाने पर कई बड़े लोगों पर कार्रवाई भी हुई है। इसी का नतीजा अरबपतियों के पलायन के तौर पर भी देखा जा रहा है।

चीन के अरबपति इस वजह से भी सिंगापुर को पसंदीदा जगह मान रहे हैं, क्योंकि वहां के लेबर लॉ काफी सख्त हैं। वहां एक पार्टी की ही सरकार है। मजदूरों के हड़ताल पर पूरी रोक है। सड़कों पर किसी तरह का विरोध प्रदर्शन भी नहीं किया जा सकता। इसके अलावा वहां कामकाज करने से होने वाली आय पर टैक्स भी चीन या अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है। सिंगापुर में पहले से ही चीनी मूल के तमाम लोग रहते हैं। इसके अलावा वहां भारतीय भी बड़ी तादाद में हैं। मलय भाषी लोगों की भी सिंगापुर में अच्छी खासी संख्या है। वहां लेबर भी सस्ते में मिल जाते हैं। इस वजह से भी चीन के अरबपति सिंगापुर में बसने में रुचि दिखा रहे हैं।

खबरों के मुताबिक चीन के बड़े घरानों के लोगों ने सेंटोसा द्वीप में घर खरीदे हैं। यहां कैसिनो, थीम पार्क और लग्जरी गोल्फ कोर्स है। सेंटोसा द्वीप में आजकल खूब लग्जरी गाड़ियां दिखती हैं। ज्यादातर यहां चीनी मूल के युवा देखे जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि चीन की सबसे बड़ी चेन हैडिलाओ के मालिक ने भी सिंगापुर में अपना दफ्तर खोल दिया है। 2022 तक सिंगापुर में चीन के 1500 कारोबारियों ने बिजनेस खोला है। आने वाले दिनों में ये तादाद और बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।