पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हफ्तों की गहन अटकलों और अफवाहों के बाद लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर को सेना के नए प्रमुख (सीओएएस) के रूप में चुना लिया है। पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने ट्विटर पर यह घोषणा करते हुए कहा कि, प्रधानमंत्री ने अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह चुनाव किया है। उन्होंने आगे कहा कि, लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेसीएससी) के चेयरमैन के रूप में चुना गया है।
आसीम मुनीर बनेंगे पाकिस्तान के नये आर्मी चीफ
पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा कि, इसका एक सारांश राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को भेज दिया गया है। नये आर्मी चीफ की घोषणा करने के कुछ ही मिनट बाद मीडिया से बात करते हुए पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि “सलाह” राष्ट्रपति अल्वी को भेज दी गई है। उन्होंने कहा कि, सभी मामलों को कानून और संविधान के अनुसार सुलझा लिया गया है और उन्होंने इस नियुक्ति को “राजनीतिक लेंस” के माध्यम से देखने से बचने का आह्वान किया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि, राष्ट्रपति नियुक्तियों को “विवादास्पद” नहीं बनाएंगे और प्रधानमंत्री की सलाह का समर्थन करेंगे। रक्षा मंत्री ने दोहराया कि, राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री की सलाह का समर्थन करना चाहिए, ताकि “विवाद उत्पन्न न हो”। उन्होंने आगे कहा कि, “इससे हमारे देश और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में भी मदद मिलेगी। फिलहाल सब कुछ ठप है।”
कौन हैं जनरल आसीम मुनीर
इन्फैंट्रीमैन लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर वरिष्ठता की लिस्ट में जनरल बाजवा के बाद शीर्ष पर हैं। हालांकि, वह पाकिस्तान सैन्य अकादमी के ग्रेजुएट नहीं है, लेकिन वह सेना के एक फीडर स्कूल से “स्वॉर्ड ऑफ ऑनर” श्रेणी के टॉपर हैं, जिनकी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी में अच्छी खासी पकड़ है। इसके अलावा कहा जाता है, कि पूरा कुरान उन्हें याद है। पाकिस्तान के अलावा उन्होंने सऊदी अरब में भी काम किया है। हालांकि, कुछ सैन्य अंदरूनी सूत्रों ने चेतावनी दी है, कि उन्हें नामित करने से पाकिस्तान की राजनीति में भयावह राजनीति ध्रुवीकरण होगा। वहीं, सेना पर दो किताबें लिखने वाले नवाज शरीफ ने अपनी किताब में लिखा है, कि सैन्य प्रमुख के लिए उस उम्मीदवार का नाम सबसे पहले हटा देना चाहिए, जो ‘खुफिया एजेंसी आईएसआई’ का डार्क हाउस हो।
आसीम मुनीर के सामने चुनौतियां
जनरल आसीम मुनीर के नाम पर अगर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी मुहर लगा देते हैं, तो वो पाकिस्तान के नये आर्मी चीफ बन जाएंगे, हालांकि, उनके सामने चुनौतियों का अंबार ही होगा, क्योंकि भारत के साथ युद्धविराम जरूर चल रहा हो, लेकिन अफगानिस्तान सीमा पूरी तरह से अशांत है। पिछले एक साल में 300 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक अफगानिस्तान सीमा पर मारे जा चुके हैं। 6 लाख जवानों का भी प्रमुख बनेगा, उसके सामने एक तरह इस्लामिक कट्टरपंथी चुनौती होंगे, तो दूसरी तरफ बलूचिस्तान में चीन के खिलाफ शुरू हो चुकी सीधी लड़ाई है, जिसका संबंध सीधे तौर पर चीन से जुड़ा हुआ है। इसके साथ ही देश में आए आर्थिक संकट से सेना के बजट पर भी असर पड़ा है, जिससे भी नये सेना प्रमुख को जूझना होगा।