बसपा सुप्रीमो मायावती का विपक्ष को जोरदार झटका! ‘यूसीसी का सपोर्ट…लेकिन शर्तें लागू’

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इस वक्त यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर जमकर सियासत देखने को मिल रही है। एक तरफ जहां कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दल यूसीसी का विरोध कर रही है। वहीं आम आदमी पार्टी, शिवसेना यूसीसी पर सरकार का समर्थन देने का ऐलान कर चुकी है। इसी बीच यूसीसी को लेकर छिड़े महाभारत के बीच बसपा ने भी इस मसले पर अपना रूख साफ कर दिया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने समान नागरिक संहिता पर सरकार को सपोर्ट करने का फैसला लिया है। हालांकि मायावती ने कुछ शर्तें भी रख दी है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूसीसी को लेकर दिए बयान के बाद से विपक्ष दलों के बीच खलबली मचा दी है। भाजपा ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अपना एजेंडा सेट कर दिया है। इसको देखते हुए विपक्ष परेशान दिखाई दे रहा है। इसी बीच मायावती ने भी यूसीसी पर समर्थन देकर विपक्षी पार्टियों की चिंता बढ़ा दी है।

Uniform Civil Code

रविवार को लखनऊ में मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि यहां विशाल आबादी वाले अपने भारत देश में हिंदू, मुस्लिम, सिख, पारसी और बौद्ध आदि विभिन्न धर्मों को मनाने वाले लोग रहते है। जिनके हर मामले में रहन-सहन व जीवनशैली आदि के अपने अलग-अलग से तौर तरीके नियम व रस्म रिवाजे है। जिससे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ ये बात भी काफी हद तक सोचने वाली है यदि यहां सभी धर्मों के मनाने वाले लोगों पर हर मामले में एक सम्मान कानून लागू होता है। उससे देश कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत होगा। साथ ही लोगों में आपसी सांप्रदायिक सद्भावना, भाईचारा आदि भी पैदा होगा। ये बात भी कही हद तक सही है। जिसे खास ध्यान में रखकर ही भारतीय संविधान की धारा 44 में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) बनाने का प्रयास तो वर्णित हैं। लेकिन इसे जबरन थोपने का प्रावधान नहीं है। इसके लिए जागरूकता व आम सहमति को श्रेष्ठ माना गया है। जिसका अमल न करके इसकी आड़ में संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति करना देशहित में सही नहीं है। जो इस समय की जा रही है।

Mayawati

बसपा सुप्रीमो ने आगे भाजपा को नसीहत देते हुए कहा कि इसलिए इन सभी बातों को ध्यान में रखकर ही भाजपा को देश में UCC को लागू करने के लिए कोई कदम उठाना चाहिए था। हमारी पार्टी UCC को लागू करने के विरोधी नहीं है बल्कि भाजपा और इनकी सरकार द्वारा इसे देश में लागू करने के तौर तरीकों से सहमत नहीं है।

 

मायावती ने कहा, सर्व धर्म हिताय व सर्वधर्म सुखाए के नहीं बल्कि इनकी संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति ज्यादा देखने को मिल रही है। जो उचित नहीं है। जबकि इससे ऊपर उठकर तब सरकार को इसे लागू करना चाहिए। और नहीं इसमें धार्मिक पक्षपात नहीं होना चाहिए।