नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व बीजेपी के विरोध में मोर्चा खोलने के लिए सभी विपक्षी दलों के सूरमा एड़ी चोटी का जोर लगा चुके हैं। बिहार में नीतीश कुमार सभी विपक्षी दलों से एक छत के नीचे आने की अपील कर रहे हैं। तो वहीं उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव बीजेपी की राह में रोड़ा अटकाने में मशगूल हैं। वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के बाद अब हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के तहत सूख चुकी सियासी जमीन को फलवंत बनाने की दिशा में जुट चुके हैं। वहीं अरविंद केजरीवाल भी कई मौकों पर विपक्षी दलों से एक साथ आने का आह्वान कई मर्तबा कर चुके हैं।
इन तमाम परिस्थितियों से यह स्पष्ट है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व मुकाबला बीजेपी बनाम विपक्षी दलों के बीच होगा। इस मुकाबले में जीत का झंडा कौन बुलंद कर पाता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। लेकिन, उससे पहले आपको बता दें कि आज नीतीश कुमार ने बिहार में आयोजित सीपीआई-एमएल के राष्ट्रीय अधिवेशन में कांग्रेस से विपक्षी दलों की एकजुटता को धार देने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने सोनिया गांधी और सलमान खुर्शीद संग हुई अपनी मुलाकात का भी जिक्र किया।
इस बीच नीतीश कुमार ने भारत जोड़ो यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र कर कहा कि इससे बीजेपी के विरोध में निसंदेह सियासी दुश्वारियां ही पैदा होंगी और कहीं ना कहीं इसका फायदा हमें आगामी सियासी दंगल में होगा। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अब राहुल गांधी को विपक्षी एकजुटता को धार देने की दिशा में किसी भी प्रकार का विलंब नहीं करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अगर हमने विपक्षी एकजुटता को धार देने की दिशा में कदम उठाए तो इससे बीजेपी महज 100 सीटों पर ही सिमटकर रह जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर हम सभी विपक्षी दल एकजुट होकर लड़ेंगे। तभी आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी का सफाया होगा। बहरहाल, अब आगामी दिनों में नीतीश कुमार के इस बयान के क्या मायने निकाले जाते हैं और इन मायनों का सियासी गलियारों में क्या असर पड़ता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।