रूड़की/ नैनीताल– भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की और आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेस (एरीज) नैनीताल अब संयुक्त रूप से अनुसंधान में सहयोग करेंगे एवं परामर्श को बढ़ाएंगे। जिसके लिए आइआइटी रुड़की और एरीज ने शैक्षणिक सहयोग के तहत सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
आईआईटी रुड़की और एरीज के बीच यह समझौता ज्ञापन सहयोग को बढ़ावा देगा, और पारस्परिकता, सर्वोत्तम प्रयास, पारस्परिक लाभ और लगातार बातचीत के आधार पर ज्ञान की उन्नति की सुविधा प्रदान करेगा।
इस अवसर पर, एरीज़ के निदेशक, प्रो. दीपांकर बनर्जी ने कहा, “एआरआईईएस दोनों संस्थानों के संकायों और छात्रों के पारस्परिक लाभ के लिए आईआईटी रुड़की से वैज्ञानिक उपकरणों की मेजबानी करने की सुविधा प्रदान करेगा।”
वहीं आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, “इस साझेदारी का उद्देश्य आईआईटी रुड़की और एरीज के शोधकर्ताओं को एक-दूसरे के करीब लाना है ताकि दिलचस्प वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग समस्याओं को संयुक्त रूप से संबोधित करने के लिए अपनी-अपनी ताकत का इस्तेमाल किया जा सके । “
बता दें की ARIES प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में से एक है जो अवलोकन खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी, सौर भौतिकी और वायुमंडलीय विज्ञान में माहिर है। एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स डिवीजन के मुख्य अनुसंधान हित सौर, ग्रहीय, तारकीय, गांगेय और अतिरिक्त-गैलेक्टिक खगोल विज्ञान में हैं, जिसमें तारकीय परिवर्तनशीलता, एक्स-रे बायनेरिज़, स्टार क्लस्टर, पास की आकाशगंगाएँ, क्वासर और सुपरनोवा और अत्यधिक ऊर्जावान गामा जैसी स्वाभाविक क्षणिक घटनाएं शामिल हैं। किरण फटती है। ARIES तीन मौजूदा ऑप्टिकल टेलीस्कोप 3.6m DOT (भारत का सबसे बड़ा), 1.3m DFOT और 1.04m ST और आगामी 4m ILMT के साथ 206.5 MHz ST रडार की मेजबानी करता है।
वहीं IIT रुड़की इंजीनियरिंग, विज्ञान, प्रबंधन, वास्तुकला और योजना, और मानविकी और सामाजिक विज्ञान में उच्च शिक्षा प्रदान करने वाला राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है। 1847 में अपनी स्थापना के बाद से, संस्थान ने देश को तकनीकी मानव संसाधन और जानकारी प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
Anil Kumar
Editor