क्या डायबिटीज के कारण टूट सकते हैं दांत?

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नई दिल्ली। डायबिटीज एक लाइलाज मेटाबॉलिक डिसॉर्डर है, जो बॉडी में इंसुलिन की कमी के कारण होती है। इंसुलिन एक तरह का हार्मोन है, जो पैन्क्रियाज से रिलीज होता है। यह खाने को एनर्जी में बदलने और बॉडी में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करने में मदद करता है। हालांकि जब अग्नाश्य इंसुलिन का उत्पादन कम या फिर बंद कर दे तो इसके कारण डायबिटीज यानी मधुमेह की बीमारी हो सकती है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2030 तक दुनिया में डायबिटीज 7वीं सबसे घातक बीमारी बन जाएगी। डायबिटीज के रोगियों को यूं तो कई तरह की समस्याएं होती हैं, जिनमें बहुत अधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, चक्कर, कमजोरी, थकान और अधिक भूख लगना जैसी समस्याएं शामिल हैं। इसके साथ ही मधुमेह के रोगियों को आंखों की रोशनी धुंधली होना, किडनी, लिवर, मुंह से जुड़ी समस्याएं और पैरों में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। डायबिटीज ना सिर्फ आपके पूरे शरीर बल्कि ओरल हेल्थ को भी प्रभावित करती है। मधुमेह के मरीजों को दांतों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो डायबिटीज के मरीज पेरियोडोंटल बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। पेरियोडोंटल बीमारी में दांत की हड्डी और मसूड़ों में इंफेक्शन हो जाता है। और इसी के कारण मसूड़ों में सूजन की समस्या होती है। ऐसे में मधुमेह के रोगियों के दांत कमजोर होकर टूटने लगते हैं। पेरियोडोंटाइटिस ना सिर्फ ओरल हेल्थ को प्रभावित करता है बल्कि इसके कारण बॉडी में रक्त शर्करा का स्तर भी बढ़ सकता है। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स भी डायबिटीज के मरीजों को नियमित तौर पर डेंटिस्ट के पास जाने की सलाह देते हैं। डायबिटीज के मरीजों को ना सिर्फ दांत टूटने की समस्या हो सकती है। बल्कि इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों में मुंह सूखने की समस्या भी शामिल है। मधुमेह के रोगी हर वक्त प्यासा महसूस करते हैं, उनका ना सिर्फ मुंह हमेशा सूखा हुआ रहता है बल्कि फटे होंठ, मुंह में छाले और खाना निगलने में भी तकलीफ जैसी समस्याएं भी होती हैं।