लखनऊ। निराश्रित गोवंशों को हरा चारा उपलब्ध कराने एवं चारागाह की भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने नेपियर घास लगाने का निर्णय लिया है। योगी सरकार 45 दिनों का अभियान चलाकर चारागाह की जमीन पर नेपियर घास लगाएगी। इसको लेकर सभी जिलाधिकारियों को पत्र जारी कर दिये गये हैं। योगी सरकार ने यह निर्णय गर्मियों के आते ही हरा चारे की उपलब्धता में आने वाली कमी को पूरा करने, ऑफ सीजन में भूसे के बढ़ते दामों से निजान पाने एवं निराश्रित गोवंशों को स्वस्थ्य रखने के लिए लिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पशुपालन विभाग प्रदेश भर में चारागाह की जमीन पर 11 जुलाई से नेपियर घास लगाने का अभियान शुरू करेगा। यह अभियान 45 दिन तक चलेगा और 25 अगस्त को इसका समपन होगा। अभियान को लेकर सभी जिलों के जिलाधिकारियों को चारागाह की जमीन के निरीक्षण के निर्देश जारी कर दिये गये हैं। नेपियर घास की जड़ और डंठल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सभी जिलाधिकारियों को सौंपी गयी है। इसके साथ ही समय-समय पर चारागाह की जमीन पर नेपियर घास की देखरेख की जिम्मेदारी सीडीओ को सौंपी गयी है। वह समय-समय पर निरीक्षण के साथ अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारियों को भेजेंगे, जिसके बाद जिलाधिकारी अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे।
पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप प्रदेश की चारागाह की जमीन पर पहली बार नेपियर घास लगाने का निर्णय लिया गया है। इससे प्रदेश में हरे चारे की समस्या तो दूर होगी ही, साथ में निराश्रित गोवंशों के चारे में नेपियर घास को शामिल करने से उन्हे पोषण भी मिलेगा। मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि नेपियर घास को लगाने के लिए अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों से समन्वय स्थापित करने के लिए विभाग के अपर मुख्य सचिव रजनीश दुबे से लेकर एडिशनल डायरेक्टर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो मंडल स्तर पर स्थिति का जायजा लेंगे और आवश्यक दिशा निर्देश देंगे। उन्होंने बताया कि अपर मुख्य सचिव रजनीश दुबे, विशेष सचिव देवेंद्र पांडेय, शिव सहाय अवस्थी, राम सहाय यादव, डायरेक्टर इंद्रमणि, दुग्ध आयुक्त शशि भूषण लाल सुशील, पीसीडीएफ एमडी कुणाल सिल्कू आदि को दो-दो मंडल की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। वहीं एडिशनल डायरेक्टर एक-एक मंडल का निरीक्षण करेंगे।
नेपियर घास की खेती से पूरे साल पशुओं को हरा चारा उपलब्ध रहता है। यह चारा पौष्टिकता से भरपूर होता है। इसमें औसतन प्रोटीन की मात्रा 7 से 12 प्रतिशत तक पायी जाती है। प्रारम्भिक अवस्था में चारे में लगभग 12 से 14 प्रतिशत शुध्द पदार्थ पाया जाता है। इसकी पत्तियों में 9.30 प्रतिशत और तने में 4.40 प्रतिशत प्रोटीन पायी जाती है। इसकी बोआई से भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है।