महाराष्ट्र के कोल्हापुर में औरंगजेब और टीपू सुल्तान की तारीफ वाली वीडियो का स्टेटस लगाने पर बवाल फ़िलहाल शांत है। लेकिन पूरी घटना को लेकर महाराष्ट्र की सियासत में उबाल है। सीएम से लेकर डिप्टी सीएम तक शांति की अपील के साथ दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही। वहीं विपक्ष कानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहा। अभी यह बवाल थमा ही था कि इस बीच फिर सियासी पारा चढ़ने लग गया, जब कोल्हापुर मामले पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि महाराष्ट्र के कुछ ज़िलों में औरंगज़ेब की औलादें पैदा हुई हैं। वे औरंगज़ेब की फोटो दिखाते, रखते और स्टेटस लगाते हैं। इस कारण समाज में दुर्भावना और तनाव पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि अचानक औरंगजेब की इतनी औलादें कहां से पैदा हो गई हैं। इसका असली मालिक कौन है वह हम ढूंढेंगे। परिस्थिति नियंत्रण में है। लोगों से अपील है कि वे क़ानून अपने हाथ में न लें।
अब महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर सियासत गरमाती नजर आ रही है। दरअसल बीते दिन कोल्हापुर में एक Whatsapp स्टेट्स को लेकर दो गुटों के बीच हिंसक पथराव हो गया। इसके बाद इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया। इसके बाद महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र के कुछ जिलों में औरंगजेब की औलादें पैदा हो गई हैं, जो औरंगजेब का फोटो दिखाते हैं, उसका स्टेटस रखते हैं। अब इसपर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है।
ओवैसी ने कहा कि महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा ‘औरंगजेब के औलाद’। औरंगजेब की औलाद कह रहे हैं। फिर गोडसे और आप्टे की औलाद कौन है? कौन किसकी औलाद आपको मालूम। मैं नहीं जानता था कि आप ऐसे विशेषज्ञ थे। तो ये गोडसे की औलाद कौन है बोलो हमको? आप की सरकार में 30 हजार कैसे निकल कर आ गए… ये कैसी जुबान है डिप्टी सीएम की?
दरअसल, औरंगजेब की तारीफ वाला स्टेटस लगाए जाने के बाद 7 जून को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हिंसा भड़क गई थी। हिंसा पर हालांकि काबू पा लिया गया, लेकिन राजनीतिक बयानबाजी पर किसका जोर है। इस मामले में शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत का बयान सामने आया है। संजय राउत बोले- गोडसे की औलाद को यहाँ कोई महत्त्व नहीं देता है, जो होगा वो होगा। लेकिन ओरंगजेब के बारे में हमारी एक भूमिका है, 400 साल पुरानी है, वो रहेगी। ओरंगजेब महाराष्ट्र पर आक्रमण करने आया था। वो ऐसा शासक था जिसने हिन्दुओं के मंदिरों को तोड़ा, धर्मांतरण किया। शिवाजी महाराज को ओरंगजेब से लड़ना पड़ा। वो पूरा इतिहास आप देख सकते हो। शिवाजी महाराज ने ओरंगजेब को इस मिट्टी में दफनाया।
फ़िलहाल, औरंगजेब मामले में वार-पलटवार का दौर जारी है। अब देखना होगा कि यह सियासी सरगर्मियां कब थमती है।