विनाशकाले विपरीत बुद्धि! फिर सफाई देने के चक्कर में बुरे फंसे मनोज मुंतशिर, कह डाला- ‘हनुमान जी भगवान नहीं …’

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यकीन नहीं हो रहा है…! मन मान नहीं रहा….दिल  इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहा कि आखिर जो शख्स कभी देशभक्ति की शान में हर्फों की दरिया बहाया करता था….जो कभी भगवान राम की भक्ति में लवलीन रहता था… भला वो आ्ज भगवान राम का अपमान कैसे कर सकता है?… आखिर वही शख्स आज भगवान हनुमान के लिए जलेगी तेरे बाप की जैसे अशोभनीय  संवादों को कैसे लिख सकते हैं?  समझ से परे है कि आखिर मनोज मुंतशिर का जमीर कैसे मान गया कि वो ऐसे संवादों को लिखने  के लिए अपनी कलम उठाए ?

इन्हीं तीखे सवालों से जब मनोज का सामना हुआ, तो उन्होंने यह कहने से तनिक भी गुरेज नहीं किया कि इन संवादों को जानबूझकर लिखा गया…इनका यह बयान आक्रोश करने के साथ हास्यास्पद भी मालूम पड़ता है। वहीं, ऐसा करने के पीछे का तर्क बताते हुए वो कहते हैं कि आज की पीढ़ी खुद को कनेक्ट कर सकें, इसलिए ऐसे शब्दों का उपयोग किया गया। वहीं,  दूसरी जगह वो कहते हैं कि कुछ लोगों को सिनेमाघरों में गूंजते जय श्री राम के नारों से आपत्ति है, इसलिए विरोध की बेला शुरू की गई है। चलिए…. मनोज जी…हम आपकी इस बात को अगर एक पल के लिए मान भी लें तो आपके उस वक्तव्य का क्या ?  जिसमें आपने हनुमान जी को भगवान मानने से ही इनकार कर दिया। आपने तो यहां तक कहने से गुरेज नहीं किया कि हनुमान जी भगवान नहीं, बल्कि भक्त थे, बाद में हमने उन्हें भगवान बनाया, क्योंकि उनकी भक्ति में वो पावर थी!

सुनिए हनुमान जी के बारे में क्या बोले मनोज मुंतशिर 

बीते दिनों आदिपुरुष को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन के बीच मनोज ने अपनी जान को खतरा बताया था। जिसके बाद पुलिस ने उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई। उधर, फिल्म को लेकर जारी विरोध के बीच लगातार कमाई के आंकड़े आसमान छू रहे हैं,  जिससे एक बात तो साफ हो चुकी है कि फिल्म देखने के प्रति लोगों में आतुरता चरम पर है। उधऱ, फिल्म में जिन दृश्यों और संवादों पर आपत्ति जताई जा रही है, उसे ध्यान में रखते हुए मनोज मुंतशिर ने इसे बदलने पर हामी भर दी। बहरहाल, फिल्म पर जारी विरोध प्रदर्शन आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।